सोशल मीडिया पर पीएम मोदी का बाजार भाव 

डॉ संतोष मानव 
आप सोशल मीडिया पर नाम कमाना चाहते हैं? आपको सोशल मीडिया से कमाई करनी है, तो ज्यादा कुछ नहीं, एक ही काम कीजिए, पीएम मोदी को गाली देना सीख लीजिए। उनकी और उनके नेतृत्व वाली सरकार की हर नीति और फैसले का विरोध करना सीख लीजिए। आपकी नजर राजनीतिक हलचल पर रहती है, थोड़ी-सी राजनीतिक बुद्धि है, तो मालामाल हो जाएंगे और एक खास वर्ग में लोकप्रिय भी। You tube, facebook, इंस्टाग्राम और ऐसे ही दूसरे सैकड़ों सोशल एप पर नाम भी हो जाएगा। सोशल मीडिया स्टार कहलाएंगे। 

यू ट्यूब ने किया मालामाल 
हाल ही में you tube ने बताया कि उसने भारतीय क्रिएटर्स को तीन साल में इक्कीस हजार करोड़ रुपए दिए। इसका मतलब यह हुआ कि हर साल सात हजार करोड़ यानी हर माह छह सौ करोड़ रुपए। ये छह सौ करोड़ पाने वाले कौन हैं? खासकर राजनीतिक सेगमेंट में? आप पाएंगे कि नंबर एक से दस तक मोदी विरोधी you tuber हैं। यही हाल इंस्टाग्राम, फेसबुक या दूसरे सोशल एप का है। सब के सब मोदी को पानी पीकर गरियाने वाले। 

यह होता कैसे है? 
सोशल मीडिया पर मोदी को गाली देने से दर्शक - श्रोता का एक बड़ा बाजार मिल जाता है। इस बाजार में भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान सहित कुछ और देश के श्रोता -दर्शक होते हैं। यह भी कह सकते हैं कि दुनिया भर में फैले मोदी विरोधी मुस्लिमों का साथ मिल जाता है या कहिए कि ऐसे राजनीतिक टिप्पणीकारों को दर्शक - श्रोता मिल जाते हैं। अब दर्शक -श्रोता मिल जाएं, तो नाम और दाम तो मिलेगा ही। सबसे ज्यादा सब्सक्राइबर वाले राजनीतिक टिप्पणीकारों की लिस्ट देखिए, वे कौन लोग हैं? ध्रुव राठी, रवीश कुमार, पुण्य प्रसून वाजपेयी अजित अंजुम, दीपक शर्मा, अभिसार शर्मा, संजय शर्मा, साक्षी जोशी ----- सब के सब मोदी विरोधी। इनको सुनने वालों का डाटा निकालिए - बहुतायत में एक खास वर्ग और देश के लोग मिलेंगे। मोदी विरोध सोशल मीडिया से कमाई का सुपर फार्मूला हुआ या नहीं है? 

फिर मोदी समर्थन से क्यों नहीं?
मोदी का समर्थन करके क्रिएटर्स सोशल मीडिया से लिमिटेड कमाई कर सकते हैं। You tuber पर ही देखिए - संजय दीक्षित, प्रदीप सिंह या हर्ष कुमार जैसे दो- चार नाम ही मिलेंगे। इनका सब्सक्राइबर मोदी विरोधियों से काफी कम होगा। कारण वही है कि विशाल श्रोता - दर्शक वर्ग नहीं मिल पाता। एक बड़ कारण यह भी है कि हिंदी मीडिया का बहुत बड़ा वर्ग मोदी समर्थक ही है और ऊपर से पीएम मोदी का खुद का सोशल मीडिया नेटवर्क काफी रीच है। ऐसे में मोदी समर्थन के मार्केट में ज्यादा गुंजाइश नहीं है। 

फिर निष्पक्षता का क्या?
सोशल मीडिया पर निष्पक्षता जैसी कोई चीज है ही नहीं। वहां या तो समर्थक हैं या विरोधी। कुछ पत्रकार निष्पक्ष हैं, तो उनका श्रोता-दर्शक वर्ग सीमित है। वे न नाम कमा पाते हैं और न दाम। वे घुटते रहते हैं। सोशल मीडिया पर एक ही बात चलता है - एजेंडा, एजेंडा और सिर्फ एजेंडा। आप एजेंडा वाले नहीं हैं तो घुटते रहिए। मजा करने के लिए ध्रुव राठी-------- है न!