राजनांदगांव : कलेक्टर संजय अग्रवाल ने आगामी मानसून 2024 में बाढ़, अतिवृष्टि, प्राकृतिक आपदा से बचाव एवं राहत व्यवस्था करने के संबंध में अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने अधिकारियों को आपदा प्रबंधन हेतु एक्शन प्लान तैयार करने और सभी तथ्यों को समय सीमा में दुरूस्त करने कहा है। सभी वर्षामापक केन्द्रों पर स्थापित वर्षामापक यंत्रों का उचित संधारण एवं जानकारी संकलित करने के लिए अधिकारियों एवं कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने कहा है। जिन तहसीलों में वर्षामापी यंत्र नहीं लग पाए है, वहां तत्काल वर्षामापी यंत्र स्थापित करने निर्देशित किया है। जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित कर दूरभाष नंबर राहत आयुक्त कार्यालय को प्रेषित करने कहा है। जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष 1 जून 2024 से 24 घंटा कार्य कार्य किया जाएगा। पहुंचविहीन क्षेत्रों में जहां बाढ़ की स्थिति में पहुंचना संभव नहीं होगा, वहां पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री, नमक, केरोसीन, जीवन रक्षक दवाईयां इत्यादि नियमानुसार संग्रहित करने और उपलब्ध कराने कहा है। पेयजल की शुद्धता एवं स्वच्छता को दृष्टिगत रखते हुए कुओं, हैण्डपम्प इत्यादि के लिए ब्लीचिंग पावडर आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करने निर्देशित किया है। प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों की पहचान करने एवं इन क्षेत्रों में सतत निगरानी के लिए विशेष व्यवस्था करने तथा आवश्यकता पडऩे पर बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों के नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और उनके ठहरने के लिए कैम्प इत्यादि की सम्पूर्ण योजना तैयार करने के निर्देश दिए है। 
    कलेक्टर ने बाढ़ से बचाव संबंधी उपकरणों को दुरूस्त कराकर तुरंत उपयोग हेतु तैयार करने कहा है। जिले में उपलब्ध मोटर बोट्स की जानकारी राहत आयुक्त कार्यालय को भेजने कहा है तथा आवश्यकतानुसार मांग आने पर मोटर बोट्स तथा प्रशिक्षित जवानों को तुरंत रवाना किया जा सके। कलेक्टर ने कहा कि नगरीय क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति प्राय: नाले व नालियों के अवरूद्ध हो जाने के कारण होती है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को शहर के सभी नालियों की निरंतर सफाई कराने कहा है। शहरों के भीतर बाढ़ वाले क्षेत्रों में पोर्टेबल डायविंग पंपों की स्थापना करने एवं विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में भवन व घरों की गैर आरआरसी छतों को सुरक्षित करने के लिए यू-हुक प्रणाली का उपयोग करने तथा असुरक्षित पेड़ों की छटाई करने और सूचना पट्ट होर्डिंग हटाने व सुरक्षित करने के निर्देश दिए है। नदी के जलस्तर पर नजर रखने और जल स्तर के खतरे के निशान पर पहुंचने की संभावना होने पर इसकी पूर्व सूचना राज्य स्तरीय कन्ट्रोल रूम तथा निचले जिलों को लगातार दे तथा तत्काल सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करें। कलेक्टर ने जलाशयों से जल छोडऩे पर विशेष ध्यान रखने कहा है। उन्होंने जलाशयों में नियमित रूप से निकासी के प्रयास करने कहा है, ताकि बाढ़ की स्थिति को बिगडऩे से रोका जा सके तथा बांधों का जलस्तर बढऩे पर जल निकासी के लिए निचले जिलों एवं सीमावर्ती राज्यों को 12 घण्टे पूर्व सूचना दी जा सकें। जल संसाधन विभाग को सुस्पष्ट जिम्मेदारी प्रत्येक जलाशय के संबंध में दी गई है। 
    कलेक्टर ने कहा कि बाढ़ से बचाव, बचाव और राहत गतिविधियों में शामिल प्रथम उत्तरदाताओं और कर्मचारियों को पर्याप्त व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण पहनने चाहिए। शारीरिक सामाजिक दूरी को बनाए रखने की आवश्यकता के कारण खाली किये गये व प्रभावित लोगों को समायोजित करने हेतु चक्रवात व बाढ़ राहत शिविरों की क्षमता में काफी कमी आएगी। इसे ध्यान में रखते हुए चक्रवात व बाढ़ आश्रयों की क्षमता को फिर से संगठित करने तथा लोगों को समायोजित करने के लिए अतिरिक्त आश्रयों और राहत शिविरों की पहचान करने कहा है, जिससे भीड़-भाड़ से बचा जा सके। इसके अलावा चक्रवात, बाढ़ आश्रय या राहत शिविरों में बीमारियों के प्रकोप को रोकने के लिए अतिरिक्त शौचालयों के साथ-साथ अन्य आश्रयों और स्वच्छता व्यवस्था को भी मौजूदा आश्रयों में सुनिश्चित करने कहा है। राहत शिविरों में नियमित चिकित्सा जांच होनी चाहिए। जिससे बुखार, उल्टी-दस्त, मलेरिया व अन्य बीमारी के लक्षणों वाले मरीजों को अलग कर उपचार किया जा सके और बीमारी के प्रसार में भी रोक लगे। आश्रयों व राहत शिविरों में नियमित कीटाणु शोधन (सेनेटाइजेशन) और स्वच्छता के लिए अतिरिक्त व्यवस्था सुनिश्चित करने कहा गया है। बाढ़ से हुई क्षति की जानकारी नियमित रूप से राहत आयुक्त कार्यालय के दूरभाष क्रमांक 0771-2223471, फैक्स 2223472 पर निर्धारित प्रारूप में प्रतिदिन दें और एनडएमआईएस पोर्टल में भी प्रतिदिन इंद्राज करें। बाढ़ व बचाव संबंधी जानकारी व सूचना फैक्स व फोन के अतिरिक्त आवश्यकतानुसार विभाग के ई-मेल में भी भेजे।