राजनांदगांव : कलेक्टर संजय अग्रवाल के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय डेंगू दिवस 16 मई 2024 को समुदाय के सहभागिता से डेंगू नियंत्रण की थीम पर नागरिकों को डेंगू से बचाव के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नेतराम नवरतन ने बताया कि डेंगू मच्छर जनित एक वायरल बीमारी है। जिसमें सिर में दर्द, तेज बुखार, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द जैसी परेशानियां होती हैं और त्वचा पर चकत्ते भी निकल आते हैं। डेंगू फीमेल एडीज मच्छर के काटने से होता है। डेंगू और मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियां मच्छरों के काटने से होती हैं, लेकिन मामूली सावधानी अपनाने से मच्छर के काटने से बचा सकता है। भारत में विशेषकर यह बारिश के दिनों में होने वाला सामान्य रोग है। डेंगू का लार्वा सामान्यत: जमे हुए साफ पानी में पनपता है और इसे पनपने के लिए जुलाई से लेकर अक्टूबर का समय काफी अनुकूल होता है। यही वजह है कि इस समयावधि में सतर्क रहना जरूरी होता है। डेंगू से बचाव के लिए सभी शासकीय अस्पतालों में नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि एडीज एजिप्टी एक ऐसा मच्छर है, जो डेंगू बुखार, चिकनगुनिया, जीका बुखार, मायरो बुखार के वायरस और अन्य रोग एजेंटों को फैला सकता है। विशेषकर बारिश के मौसम की शुरूआत के साथ ही मच्छरों के प्रजनन और परिणामस्वरूप महामारी में वृद्धि होती है। एडीज एजिप्टी मच्छर सबसे ज्यादा सुबह और शाम को और छायादार क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यह पूरे साल या अनुकूल स्थिति में किसी भी समय संक्रमण फैला सकते हैं। इससे बचाव हेतु सभी को आवश्यक उपाय अपनाना चाहिए। 
    सीएमएचओ डॉ. नेतराम नवरतन ने बताया कि डेंगू का मच्छर आम मच्छरों से अलग होता है और यह दिन की रोशनी में काटता है। ऐसे में घर और आसपास मच्छरों को पनपने नहीं दें। कूलर में पानी जमा होने से उसमें डेंगू का लार्वा पनपने का खतरा रहता है। कूलर का उपयोग नहीं होने पर उसका पानी खाली कर दें एवं जो कूलर चालू है, उसे प्रति सप्ताह खाली कर साफ कर भरे, घर की छत पर रखे गमलों या अन्य चीजों में पानी जमा हो तो उसे तुरंत खाली करना चाहिए, क्योंकि इसमें डेंगू लार्वा पैदा हो सकते हैं। घरों के आसपास या गड्ढों में पानी जमा नहीं होने दें एवं जमा पानी के गड्डे में जला हुआ तेल डाल दें। जिससे अॅक्सीजन नहीं मिलने के कारण मच्छर का लार्वा नष्ट हो जाता है, मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। घर के दरवाजों में जाली लगवाएं, पैरों में मोजे पहने एवं दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। 
    जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. भूमिका वर्मा ने बताया की डेंगू रोग के विषय में जनजागरूकता के लिए जिले में विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर डेंगू से बचाव से संबंधित नारा लेखन एवं कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें लोगों को डेंगू होने के कारण, इसके लक्षण तथा इससे बचाव से संबंधित आवश्यक उपायों की जानकारी दी गई। जिला सलाहकार संगीता पांडेय, डेंगू पर नियंत्रण के लिए जिले के छुरिया, डोंगरगढ़, घुमका, डोगरगांव विकासखंड के उपकेंद्रों में लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा का लक्ष्य लेकर लगातार विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। सोर्स रिडक्शन गतिविधियां की जा रही हैं, जिसमें मितानिन की विशेष भूमिका है।  राष्ट्रीय डेंगू दिवस के अवसर पर भी जिले में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमे डॉ. अल्पना लुनिया एवं समस्त कार्यक्रम अधिकारी, सुश्री पूजा मेश्राम, जिला प्रबंधक शहरी श्री राजेश गायकवाड एवं अन्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।